आज दहेज कुप्रथा को प्राप्त कर चुका है । काले धन से संपन्न समाज का धनी वर्ग , अपनी लाडली के विवाह में धन का जो अपव्यय और प्रदर्शन करता है वह और के लिए होड़ का कारण बनता है । अपने परिवार के भविष्य को दाँव पर लगाकर समाज के सामान्य व्यक्ति भी इस मूर्खतापूर्ण होड़ में सम्मिलित हो जाते हैं । इसी धन - प्रदर्शन के कारण वर - पक्ष भी कन्या पक्ष के पूरे शोषण पर उतारू रहता है ।
प्राचीनकाल में कन्या को वर चुनने की स्वतंत्रता थी किंतु जब से माता - पिता ने उसको किसी के गले बाँध का कार्य अपने हाथों में लिया , तब से कन्या अकारण ही हीनता का पात्र बन गयी है । आज तो स्थिति यह है कि बेटी वाले को बेटे वाले को उचित - अनुचित सभी बातें सहन करनी पड़ती हैं । इस भावना का अनुचित लाभ वर - पक्ष पूरा - पूरा उठाता है । घर में चाहे साइकिल भी न हो , परंतु वे मोटर साइकिल पाये बिना तोरण स्पर्श न करेंगे । बेटो का बाप होना मानो पूर्वजन्म और वर्तमान का भीषण पाप हो । परिणाम - दहेज के दानव ने भारतीयों की मनोवृत्ति को इस हद तक दूषित किया है
कि एक साधारण परिवार की कन्या और कन्या के पिता का जीना कठिन हो गया है । इस प्रथा को बलिवेदी पर न जाने कितने कन्या - कुसुम बलिदान हो चुके हैं । लाखों परिवारों के जीवन को शांति को नष्ट करने का अपराध इस प्रथा ने किया है । उपाय - इस करीति से मुक्ति का उपाय क्या है ? इसके दो पक्ष हैं - जनता और शासन । शासन कानून बनाकर इसे समाप्त कर सकता है और कर भी रहा है किंतु बिना जन - सहयोग के ये कानून फलदायी नहीं हो सकते । इसलिए महिला वर्ग को और कन्याओं को स्वयं संघर्षशील बनना होगा , स्वावलंबी बनना होगा । ऐसे वरों का तिरस्कार करना होगा ,
जो उन्हें केवल धन - प्राप्ति का साधन मात्र समझते - हमारी सरकार ने दहेज विरोधी कानन बनाकर इस कुरीति के उन्मूलन का प्रयास किया है , लेकिन वर्तमान दहेज - कानून में अनेक कमियाँ हैं । इसे कठोर से कठोर बनाया जाना चाहिए । सामाजिक चेतना के बिना केवल कानून के बल पर इस समस्या से छुटकारा आज पढ़ा लिखा समाज है स्वयं विचार करें जो बेटी के जीवन के लिए अभिशाप बनी हुई प्रथा को हमेशा के लिए खत्मम करेंl आज का समाज में फैली सभी बुराइयों को बढ़ावा दे रहे क्योंकि हमें इन बुराइयों से छुटकारा पाने के लिए कोई उपाय नजर नहीं आ रहा जब तक हमें आध्यात्मिक ज्ञान नहीं होगा तब तक हम इन बुराइयों को नहीं छोड़ पाए विश्व में एकमात्र संत जिसके आध्यात्मिक ज्ञान के बल पर सभी बुराइयों को छोड़ा जा सकता है संत रामपाल जी महाराज जीने की रहा बता रहे हैं जिस पर चलकर एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है
प्राचीनकाल में कन्या को वर चुनने की स्वतंत्रता थी किंतु जब से माता - पिता ने उसको किसी के गले बाँध का कार्य अपने हाथों में लिया , तब से कन्या अकारण ही हीनता का पात्र बन गयी है । आज तो स्थिति यह है कि बेटी वाले को बेटे वाले को उचित - अनुचित सभी बातें सहन करनी पड़ती हैं । इस भावना का अनुचित लाभ वर - पक्ष पूरा - पूरा उठाता है । घर में चाहे साइकिल भी न हो , परंतु वे मोटर साइकिल पाये बिना तोरण स्पर्श न करेंगे । बेटो का बाप होना मानो पूर्वजन्म और वर्तमान का भीषण पाप हो । परिणाम - दहेज के दानव ने भारतीयों की मनोवृत्ति को इस हद तक दूषित किया है
कि एक साधारण परिवार की कन्या और कन्या के पिता का जीना कठिन हो गया है । इस प्रथा को बलिवेदी पर न जाने कितने कन्या - कुसुम बलिदान हो चुके हैं । लाखों परिवारों के जीवन को शांति को नष्ट करने का अपराध इस प्रथा ने किया है । उपाय - इस करीति से मुक्ति का उपाय क्या है ? इसके दो पक्ष हैं - जनता और शासन । शासन कानून बनाकर इसे समाप्त कर सकता है और कर भी रहा है किंतु बिना जन - सहयोग के ये कानून फलदायी नहीं हो सकते । इसलिए महिला वर्ग को और कन्याओं को स्वयं संघर्षशील बनना होगा , स्वावलंबी बनना होगा । ऐसे वरों का तिरस्कार करना होगा ,
जो उन्हें केवल धन - प्राप्ति का साधन मात्र समझते - हमारी सरकार ने दहेज विरोधी कानन बनाकर इस कुरीति के उन्मूलन का प्रयास किया है , लेकिन वर्तमान दहेज - कानून में अनेक कमियाँ हैं । इसे कठोर से कठोर बनाया जाना चाहिए । सामाजिक चेतना के बिना केवल कानून के बल पर इस समस्या से छुटकारा आज पढ़ा लिखा समाज है स्वयं विचार करें जो बेटी के जीवन के लिए अभिशाप बनी हुई प्रथा को हमेशा के लिए खत्मम करेंl आज का समाज में फैली सभी बुराइयों को बढ़ावा दे रहे क्योंकि हमें इन बुराइयों से छुटकारा पाने के लिए कोई उपाय नजर नहीं आ रहा जब तक हमें आध्यात्मिक ज्ञान नहीं होगा तब तक हम इन बुराइयों को नहीं छोड़ पाए विश्व में एकमात्र संत जिसके आध्यात्मिक ज्ञान के बल पर सभी बुराइयों को छोड़ा जा सकता है संत रामपाल जी महाराज जीने की रहा बता रहे हैं जिस पर चलकर एक स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है
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