गीता जी अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में स्पष्ट लिखा है शास्त्र विधि को त्याग कर जो मनमानी पूजा यह आचरण करते हैं उनको ना तो कोई सुख ना कोई लाभ ना कोई सिद्धि प्राप्त होती है जो साधना करना चाहिए या ना करना चाहिए इसके लिए शास्त्र ही प्रमाण है
उस तत्वदर्शी संत के बताए अनुसार साधना करनी चाहिए जिससे पूर्ण मोक्ष(अनादि मोक्ष) प्राप्त होता है। गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि मैं भी उसी की शरण में हूँ।
No comments:
Post a Comment